ICC introduces protocol to reduce impact of dew in ODI World Cup

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने भारत में होने वाले upcoming ODI विश्व कप में ओस के प्रभाव को कम करने के लिए सभी स्थानों के क्यूरेटरों के लिए एक ‘प्रोटोकॉल’ बनाया है। यह प्रोटोकॉल इसलिए बनाया गया है क्योंकि ओस के टूर्नामेंट में एक प्रमुख कारक होने की उम्मीद है, और आईसीसी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि टॉस का परिणाम मैचों के परिणाम पर महत्वपूर्ण प्रभाव न डाले।

ICC World Cup

ICC ने क्यूरेटरों को निर्देश दिया है कि वे पिचों पर अधिक से अधिक घास छोड़ दें ताकि तेज गेंदबाजों को मदद मिल सके। यह गेंदबाजों के लिए शाम के समय गेंद को पकड़ना आसान बना देगा, जब ओस गिरने की संभावना सबसे अधिक होती है। इसके अतिरिक्त, स्टेडियमों को बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बड़ी बाउंड्री साइज रखने की सलाह दी गई है।

ICC ने गेंद को गीला करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वेटिंग एजेंट को भी मानकीकृत कर दिया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी पिचों का एक समान व्यवहार किया जाए और किसी भी टीम को कोई अनुचित लाभ न हो।

भारतीय टीम स्पिनिंग पिचों पर खेलना पसंद करेगी, लेकिन उन्हें ओस के कारक को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। उनके पास टीम में दो उंगली स्पिनर और एक कलाई स्पिनर है, लेकिन अगर परिस्थितियां अनुकूल हों तो उन्हें और अधिक तेज गेंदबाजों को शामिल करना पड़ सकता है।

आईसीसी का प्रोटोकॉल ODI विश्व कप में सभी टीमों के लिए एक समान प्रतिस्पर्धी माहौल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे टूर्नामेंट अधिक प्रतिस्पर्धी और रोमांचक बनेगा।

ICC World Cup में भारतीय टीम की चुनौती

भारतीय टीम को ODI विश्व कप में ओस की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। भारतीय पिचें आमतौर पर स्पिन गेंदबाजों की मदद करती हैं, लेकिन ओस होने पर गेंदबाजों को गेंद को पकड़ने में मुश्किल होती है। इससे बल्लेबाजों को आसानी से रन बनाने में मदद मिलती है।

भारतीय टीम के पास दो उंगली स्पिनर और एक कलाई स्पिनर है। ओस की स्थिति में, उन्हें तेज गेंदबाजों पर अधिक निर्भर करना पड़ सकता है। भारतीय टीम ने एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज, शार्दूल ठाकुर को टीम में शामिल किया है, जो उनकी बल्लेबाजी में भी योगदान दे सकते हैं।

भारतीय टीम के लिए यह जरूरी है कि वे ओस की स्थिति में भी अच्छा प्रदर्शन करें। अगर वे ऐसा कर पाए, तो उनके पास ODI विश्व कप जीतने का अच्छा मौका होगा।

अतिरिक्त विवरण:

  • ICC ने क्यूरेटरों को यह भी निर्देश दिया है कि वे पिचों को रोल करने के लिए हैवी रोलर का उपयोग न करें। यह पिचों को अधिक कठोर बनाएगा और तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी।
  • ICC ने स्टेडियमों को यह भी सलाह दी है कि वे मैदान पर अधिक से अधिक रोशनी का उपयोग करें ताकि ओस का प्रभाव कम हो सके।
  • ICC ने सभी टीमों को ओस के कारक के अनुकूल होने के लिए पर्याप्त अभ्यास समय देने की भी योजना बनाई है।
  • ICC ने क्यूरेटरों को निर्देश दिया है कि वे पिचों पर अधिक से अधिक घास छोड़ दें। इससे गेंदबाजों के लिए शाम के समय गेंद को पकड़ना आसान बना देगा, जब ओस गिरने की संभावना सबसे अधिक होती है।
  • ICC ने स्टेडियमों को बड़ी बाउंड्री साइज रखने की सलाह दी है। यह बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा।
  • ICC ने गेंद को गीला करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वेटिंग एजेंट को मानकीकृत कर दिया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी पिचों का एक समान व्यवहार किया जाए और किसी भी टीम को कोई अनुचित लाभ न हो।
  • ICC ने स्टेडियमों को यह भी सलाह दी है कि वे मैदान पर अधिक से अधिक रोशनी का उपयोग करें ताकि ओस का प्रभाव कम हो सके।

निष्कर्ष:

ICC ने ODI विश्व कप में ओस के प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन कदमों से टूर्नामेंट अधिक प्रतिस्पर्धी और रोमांचक बनेगा।

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